Saturday, February 7, 2009

क्या यही प्यार है?

velentins day spl.
क्या यही प्यार है?
by: sanjay k chandwara

बदलते दौर में क्या भावनाएं भी बदल गईं हैं। या फिर शून्य हो गई हैं। जाहिर सी बात है भावानएं नहीं है तो प्रेम भी नहीं है। क्यूंकि प्रेम का संबंध भौतिकता से नहीं बल्कि मन की सबसे पवित्र स्थिति से है। करियर, पैसा, पोजीशन भी जरूरी है, पर क्या यें भावनाओं से लड़ पाएंगे। शायद, इसका जवाब इस कहानी के आखरी पन्ने पर मिल जाए।
ज़ैद एक ऐसा लड़का है जिसे हर दिशा में, हर अवस्था में सिर्फ पैसा, पोजिशन और करियर ही दिखता है। इसमें बुरा भी कुछ नहीं है। बल्कि ऐसे लड़के की तो समाज और परिवार में सुनहरे अल्फाजों से तारीफ की जाती है। कॉलेज के एमबीए कोर्स की रिजल्ट शीट में ज़ैद का नाम टॉप पर है। ज़ैद का सपना अमेरिका की टॉप कंपनी ज्वाइन करने का है। इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार है। यह कॉन्फिडेंस उसे ही नहीं उसके प्रोफेसरों को भी है। कॉर्पोरेट जगत में ज़ैद के प्लान और पेपर अभी से चर्चा का विषय बने रहते हैं।
अच्छे अच्छे मैनेजमेंट गुरू ज़ैद के दीमाग से सीख लेते हैं। ज़ैद को इंतजार है तो सिर्फ डिग्री हाथ में आने का। इंडिया की तमाम टॉप कंपनियां ज़ैद के लिए पहले ही रेड कॉरपेट बीछा कर बैठी हैं। दोस्तों में भी ज़ैद की खास जगह है। मिलनसार, हंसमुख, हेल्पिंग, रोमांटिक लेकिन इन सबसे ज्यादा प्रेक्टिकल और भावना शून्य।
प्यार और ज़ैद इतनें दूर हैं कि उन्हें शब्दों में बयान करना मुश्किल है। प्यार की आलोचना में ज़ैद के पास न खत्म होने वाला भंडार है। प्यार करने वालों पर हंसता है। प्यार में मर मिटने वाले उसके सामने सबसे बड़े मूर्ख हैं। कुछ प्यार करने वाले दोस्त तो इसलिए दूर हो गए क्योंकि ज़ैद उन्हीं की गर्ल फ्रेंड्स, ब्वाय फ्रैंड के सामने लाजवाब तर्कों से उन्हें मूर्ख साबित कर देता है। ज़ैद के उदाहरण और तर्क सुनकर कई लोग अपने प्रेम पथ से भटक चुके हैं। बहुत ही मुश्किल होता है उसे गलत साबित करना।
सुनैना इसी कॉलेज में ज़ैद की जूनियर है। सुनैना की व्यक्तित्व अनेक उपमाओं को पीछे छोड़ देता है। चेहरे पर नूर, आंखों में चंचल चमक, माथा चौबिस घंटे ठंडा और वाणी में शहद। सुनैना बहुत सुंदर ही नहीं सुंस्कृत भी है। बेचारी की किस्मत तो देखो ज़ैद से दिल लगा बैठी। पूरा कॉलेज सुनैना के पीछे और सुनैना, ज़ैद के पीछे। सुनैना की दीवानगी के आगे मीरा की मुहब्बत भी फीकी पड़ती है। ऐसा इसलिए कि जिस दौर में लोग मोबाइल की तरह गर्ल फ्रैंड, ब्वाय फ्रैंड बदलते हैं, तो सुनैना साल भर से एक ही रट लगाए बैठी है ज़ैद, ज़ैद और ज़ैद ...। अब तो दोस्त भी खिल्ली उड़ाने लगे हैं। अच्छी बात तो सिर्फ ये है कि ज़ैद, सुनैना, गुरदिप, मन्नु, स्वाती और बैलेंससीट(एक दोस्त का निक नेम) एक ही ग्रुप में उठते-बैठते हैं। सुनैना को ये ही बहुत बड़ा सहारा है कि ज़ैद उससे प्यार करे या नहीं पर उसे अच्छा दोस्त तो समझता है। कई बार दोनों में बहस भी बहुत बुरी होती है, लेकिन सुनैना मर्द की इगो को ध्यान में रखते हुए खुद ही पीछे हट जाती है। इसे सुनैना की मुहब्बत ही कहेंगे कि वो अपनी मुहब्बत को अपने सामने झुकता हुआ नहीं देख सकती।
ज़ैद - क्यूं प्यार करती हो
सुनैना- हवा क्यूं चलती है। फूल क्यों खिलते हैं। झरनों से ही संगीत क्यों निकलता है पत्थरों से क्यों नहीं। इन सवालों का जवाब है तुम्हारें
ज़ैद- हां... Geographical reason
सुनैना- that’s right… देखा इन सबका कोई न कोई कारण है। प्यार इन सबसे ऊपर है क्यूंकि इसके पीछे कोई कारण नहीं।
ज़ैद - सच बताऊं.. तुम में हिम्मत है सुनने की?
सुनैना- (मुस्कराहट को मरोड़ते हुए) तुम... तुम प्यार समझाओगे.. यकीन नहीं होता कि तुम प्यार के बारे में भी कुछ जानते हो। चलो.. बताओ..
ज़ैद - प्यार, लव, मुहब्बत, प्रेम, इश्क ये सभी mental disorder हैं। जो अच्छे भले लोगों में पाया जाता है। जिसका पेट भरा होता है, जिसे ना future की कोई... tension है न present की तकलीफ। ऐसे ही लोगों के पीछे प्यार का भवरा मंडराता है। यह रोग हर age group के लोगों में पाया जाता है। कुछ लोग समय रहते जरूर इस रोग से मुक्ति पा लेते हैं तो कुछ बेचारे लाइफ गंवा बैठते हैं। अभी भी वक्त है be practical, संभल जाओ..। अपने career के बारे में सोचो। एक position लो फिर चाहो जिसे प्यार करों, चाहो जितने को प्यार करो। ... प्यार से position नहीं मिलती लेकिन position से प्यार जरूर मिल जाता है। और वैसे भी अच्छे से अच्छा प्यार physical attraction से खत्म हो जाता है। प्यार के गीत फिल्मों में और मुहब्बत की गज़लें किताबों में ही अच्छी लगती हैं। real life प्यार का result बिस्तर है। और इस बिस्तर को पाने के लिए प्यार में बेकार energy waste करना समझदारी नहीं है।
सुनैना- (clapping) very good .. तो प्यार तुम्हारे लिए एक बिस्तर का सुख है।
ज़ैद - नहीं मेरे लिए प्यार एक रोग है। एक बिमारी है। और बिस्तर का सुख एक physical need है तुम इन दोनों को मत मिलाओ..।
सुनैना- मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूं।
ज़ैद- पर मैं तो तुम्हारे हिसाब से तुमसे से प्यार नहीं करता
सुनैना- मैं तो करती हूं।
ज़ैद- ठीक है।
सुनैना- चले।
ज़ैद- are you mad.. ये सब इतना आसान है क्या।
सुनैना- क्यूं ये भी तुम्हारे लिए कठीन हो गया।
ज़ैद- तो ..You only feel physical needs..
सुनैना- (रखकर चाटा मारती है) .. I am very sorry ... तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।

ऐसी ही कुछ बहसबाजी इन दोनों में होती रहती है। हर बार सुनैना रो कर तो कभी आंसुओं को रोककर ज़ैद का इंतजार करती है। ज़ैद भी सुनैना को अच्छी दोस्त मानता है। कई बार समझा चुका है कि किसी और से दिल लगा ले उसे कभी प्यार पर विश्वास नहीं होगा। वो प्यार को बेवकूफी समझता है।
बस यूं ही समय गुजरता है.. । ज़ैद के birthday पर गुरदीप पार्टी का प्रोग्राम बनाता है, शहर से बाहर जाना.. full day मस्ती। party जोरदार रही। खूब खाना-पीना हुआ... अब वापसी होती है। ज़ैद गाड़ी चला रहा है। सुनैना उसके साथ बैठती है। पीछे चारों दोस्त ऊंघ रहे हैं। सभी को घर जल्दी पहुंचना है। ज़ैद गाड़ी तेज चलाता है। सुनैना का ध्यान सड़क की तरफ कम और ज़ैद की तरफ ज्यादा है। अचानक एक मोड़ पर accident हो जाता है।
सभी अस्पताल में । चारों दोस्तों को हल्की चोंटे लगती हैं। ज़ैद और सुनैना गंभीर रूप से घायल है। ज़ैद को होश आता है तो वह सबसे पहले सुनैना का बारे मे पूछता है। doctor बताता है कि सुनैना खतरे से बाहर है और दूसरे रूम में है।
ज़ैद सुनैना का पास जाता है। सुनैना लेटी हुई है। चारों दोस्त उसके चारों तरफ बैठे हुए हैं। ज़ैद सुनैना के करीब जाता है। पूछता है.. सुनैना तुम कैसी हो।
सुनैना कुछ नहीं बोलती, ज़ैद की बाजू कसकर पकड़ती है। चारों दोस्तों के चेहरे पर मुस्कराहट आती है।
Doctor आते हैं। doctor ज़ैद के कंधों पर हाथ रखकर सहमते हुए कह तुम्हें सुनैना का खास ध्यान रखना होगा।
ज़ैद- मैं कुछ समझ नहीं doc.
तभी गुरमीत बोलता... ज़ैद.. अब सुनैना को काफी गंभीर चोटें आई हैं।
ज़ैदः मतलब..
Doc- इस accident में सुनैना की मेजर सर्रज़री हुई है।
ज़ैद- oh Shit ….... I am sorry सुनैना.. ये सब मेरी वजह से हुआ। you know मैं over speed मैं चल रहा था।
सुनैना- शुक्र करो हम जिंदा है। हमें अब अपनी नई लाइफ के बारे में सोचना है।
ज़ैद- हां.. तुम ठीक कह रही हो। हमें अपनी-अपनी लाइफ के बारे में सोचना होगा। मुझे अभी बहुत कुछ achieve करना है।
सुनैना, ज़ैद की पकड़ी हुई बाजू को कसके पकड़ के एकदम छोड़ देती है। ज़ैद सुनैना के पास से उठ जाता है।
वक्त गुजरता है। ज़ैद अमेरिका जाने की तैयारी में उधर सुनैना बिल्कुल टूट चुकी है। उसकी हाल काफी बिगड़ चुकी है। अब सुनैना ICU में दाखिल है। और अंतिम सांसे ले रही है। उधर ज़ैद अमेरिका जाने की फाइनल तैयारी में लगा हुआ है। तभी गुरमीत और मन्नु ज़ैद के घर पहुंचते हैं। गुरमीत, ज़ैद को बताता है कि सुनैना की हालत बहुत नाज़ुक है। लगता है, बस तेरे लिए ही उसकी सांसे अटकी पड़ी है। please चलकर सिर्फ इतना कह दो कि तुम्हें उससे प्यार है। बेचारी कम से कम चैन से मर तो सकेगी।
ज़ैद- जरूर चलता... पर क्या करूं.. यार मेरी flight है.. Please... मेरी तरफ से उससे माफी मांग लेना। मन्नु जैद की बातें सुनती है आगे बढ़ती है और रखकर एक चाटा रशीद करती है।
उधर सुनैना दम तोड़ चुकी है। अब ज़ैद के घर पर doctor फोन आता है। फोन ज़ैद की मां उठाती है। doctor उसकी मां को समझता है कि सुनैना ज़ैद से बहुत प्यार करती थी.. कम से कम आखिरी समय में फूल चढ़ाने तो आ सकता है। ज़ैद की मां उससे कहती है.. एयरपोर्ट के रास्ते में ही तो सुनैना का घर पड़ता है... वो तुम्हारी अच्छी दोस्तों में से है, तुम्हें एक बार जरूर उसके घर जाना चाहिए। वो अब इस दुनिया में नहीं रही। बतौर इंसानियत वहां जाना तुम्हारा फर्ज है।
ज़ैद और उसकी मां दोनों सुनैना के घर पहुंचते हैं। सुनैना का शव सफेद कफन में लिपटा हुआ है। ज़ैद भी उस पर फूल चढ़ा कर लोगों के बीच खड़ा हो जाता है। डाक्टर उसके करीब आता है। और उसे एक लैटर थमाता हुआ बोलता है—सुनैना ने मुझसे promise लिया था कि इन पेपर्स के बारे में तुम्हें कभी नहीं बताऊं लेकिन आज वो नहीं है तो promise भी नहीं है। ज़ैद पूछता है, क्या... किस बारे में ये पेपर्स।
डाक्टर—पढ़ लो..
ज़ैद पेपर पढ़ने लगता है। पेपर पर आंसू टपकने लगते हैं। “ पेपर में लिखा होता.. मैं (सुनैना गुप्ता d/o आर डी गुप्ता..) अपनी मर्जी और पूरे होश में ज़ैद को अपनी किडनी दान करती हूं..”